एक पुरुष ,
एक स्त्री को ,
भददी, भददी
गलियां दे रहा था,
उसके हाथ निरंतर,
उस स्त्री की ,
पिटाई कर रहे थे,
कुछ लोग ,
जिनमे स्त्रियों की
संख्या ज्यादा थी ,
पास से देख ,
सुन रहे थे,
भुनभुना रहे थे.
आपस में कहते रहे,
ये पति पत्नी का ,
मामला है ,
हमें इससे क्या ,
ये कुछ भी करे.
ये कह वहां से ,
खिसक गए.
कुछ दिनों बाद,
एक पत्नी,
अपने पति को,
अपने हाथों से ,
खिला रही थी,
अपने घर के,
प्रांगन में.
तभी,पड़ी,
उनदोनो पर,
एक ,
पड़ोसन की नजर,
ये देख आसपास ,
चर्चे फ़ैल गए ,
कितने बेसरम हैं ,
ये लोग,
क्या पति पत्नी को
ऐसे रहा जाता है.
ये आईना ,
हमारे सभ्य,
समाज का,
जिसमे,
हम रहते हैं.
"रजनी नैय्यर मल्होत्रा"
एक स्त्री को ,
भददी, भददी
गलियां दे रहा था,
उसके हाथ निरंतर,
उस स्त्री की ,
पिटाई कर रहे थे,
कुछ लोग ,
जिनमे स्त्रियों की
संख्या ज्यादा थी ,
पास से देख ,
सुन रहे थे,
भुनभुना रहे थे.
आपस में कहते रहे,
ये पति पत्नी का ,
मामला है ,
हमें इससे क्या ,
ये कुछ भी करे.
ये कह वहां से ,
खिसक गए.
कुछ दिनों बाद,
एक पत्नी,
अपने पति को,
अपने हाथों से ,
खिला रही थी,
अपने घर के,
प्रांगन में.
तभी,पड़ी,
उनदोनो पर,
एक ,
पड़ोसन की नजर,
ये देख आसपास ,
चर्चे फ़ैल गए ,
कितने बेसरम हैं ,
ये लोग,
क्या पति पत्नी को
ऐसे रहा जाता है.
ये आईना ,
हमारे सभ्य,
समाज का,
जिसमे,
हम रहते हैं.
"रजनी नैय्यर मल्होत्रा"
बहुत शानदार पोस्ट प्रस्तुत की है आपने .शायद ब्लॉग जगत में ऐसी पोस्ट पढने से ही इसकी सार्थकता साबित होती है .बधाई .
जवाब देंहटाएंaapka hardik sukriya sikha ji ...........nirntrta bani rahe sneh ke liye..........
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लिखा है....सच तो यही है...दूसरे का प्यार देखा नहीं जाता और मामला हिंसा का हो तो पति-पत्नी के बीच का.....
जवाब देंहटाएंअच्छा लगा जानकर आप रांची से हैं और अब बोकारो में हैं। मैं कुछ समय से रांची में हूं...
अब तो आना-जाना लगा रहेगा.....
रजनी जी जीवन के विकृत यथार्थ के बहाने सही प्रश्न उठाए हैं। हम सबको इसपर मनन करना ही होगा।
जवाब देंहटाएं---------
ब्लॉगवाणी: एक नई शुरूआत।
रजनी जी
जवाब देंहटाएंसस्नेहाभिवादन !
सच है, दोहरे मानदंड हमारे समाज में हैं तो सही …
लेकिन, परिस्थितियां बदल भी रहीं हैं ।
अच्छी सुंदर भावप्रवण रचना के लिए आभार बधाई !
बसंत पंचमी सहित बसंत ॠतु की हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
इस रचना द्वारा आप प्रभावित कर गयीं ....! शुभकामनाएं आपको !!
जवाब देंहटाएंपहली बार आपके चौपाल पर आ कर अच्छा लगा,
जवाब देंहटाएंकिन्तु क्या खूब लिखा है आपने, चलिए देर से ही
सही ब्लॉग पर आना सुखद रहा.
हार्दिक शुभकामनाएं!
aap sabhi ko mera hardik aabhar .........
जवाब देंहटाएंआदरणीय महोदया , सादर प्रणाम
जवाब देंहटाएंआज आपके ब्लॉग पर आकर हमें अच्छा लगा.
आपके बारे में हमें "भारतीय ब्लॉग लेखक मंच" पर शिखा कौशिक व शालिनी कौशिक जी द्वारा लिखे गए पोस्ट के माध्यम से जानकारी मिली, जिसका लिंक है......http://www.upkhabar.in/2011/03/vandana-devi-nutan-shikha-mamta-preeti.html
इस ब्लॉग की परिकल्पना हमने एक भारतीय ब्लॉग परिवार के रूप में की है. हम चाहते है की इस परिवार से प्रत्येक वह भारतीय जुड़े जिसे अपने देश के प्रति प्रेम, समाज को एक नजरिये से देखने की चाहत, हिन्दू-मुस्लिम न होकर पहले वह भारतीय हो, जिसे खुद को हिन्दुस्तानी कहने पर गर्व हो, जो इंसानियत धर्म को मानता हो. और जो अन्याय, जुल्म की खिलाफत करना जानता हो, जो विवादित बातों से परे हो, जो दूसरी की भावनाओ का सम्मान करना जानता हो.
और इस परिवार में दोस्त, भाई,बहन, माँ, बेटी जैसे मर्यादित रिश्तो का मान रख सके.
धार्मिक विवादों से परे एक ऐसा परिवार जिसमे आत्मिक लगाव हो..........
मैं इस बृहद परिवार का एक छोटा सा सदस्य आपको निमंत्रण देने आया हूँ. आपसे अनुरोध है कि इस परिवार को अपना आशीर्वाद व सहयोग देने के लिए follower व लेखक बन कर हमारा मान बढ़ाएं...साथ ही मार्गदर्शन करें.
आपकी प्रतीक्षा में...........
हरीश सिंह
संस्थापक/संयोजक -- "भारतीय ब्लॉग लेखक मंच" www.upkhabar.in/
...
exceelent ..aksar dekhne ko mil jate hai ye dono rang samaj mein.
जवाब देंहटाएंश्रीमान जी, मैंने अपने अनुभवों के आधार ""आज सभी हिंदी ब्लॉगर भाई यह शपथ लें"" हिंदी लिपि पर एक पोस्ट लिखी है. मुझे उम्मीद आप अपने सभी दोस्तों के साथ मेरे ब्लॉग www.rksirfiraa.blogspot.com पर टिप्पणी करने एक बार जरुर आयेंगे. ऐसा मेरा विश्वास है.
जवाब देंहटाएंलीगल सैल से मिले वकील की मैंने अपनी शिकायत उच्चस्तर के अधिकारीयों के पास भेज तो दी हैं. अब बस देखना हैं कि-वो खुद कितने बड़े ईमानदार है और अब मेरी शिकायत उनकी ईमानदारी पर ही एक प्रश्नचिन्ह है
जवाब देंहटाएंमैंने दिल्ली पुलिस के कमिश्नर श्री बी.के. गुप्ता जी को एक पत्र कल ही लिखकर भेजा है कि-दोषी को सजा हो और निर्दोष शोषित न हो. दिल्ली पुलिस विभाग में फैली अव्यवस्था मैं सुधार करें
कदम-कदम पर भ्रष्टाचार ने अब मेरी जीने की इच्छा खत्म कर दी है.. माननीय राष्ट्रपति जी मुझे इच्छा मृत्यु प्रदान करके कृतार्थ करें मैंने जो भी कदम उठाया है. वो सब मज़बूरी मैं लिया गया निर्णय है. हो सकता कुछ लोगों को यह पसंद न आये लेकिन जिस पर बीत रही होती हैं उसको ही पता होता है कि किस पीड़ा से गुजर रहा है.
मेरी पत्नी और सुसराल वालों ने महिलाओं के हितों के लिए बनाये कानूनों का दुरपयोग करते हुए मेरे ऊपर फर्जी केस दर्ज करवा दिए..मैंने पत्नी की जो मानसिक यातनाएं भुगती हैं थोड़ी बहुत पूंजी अपने कार्यों के माध्यम जमा की थी.सभी कार्य बंद होने के, बिमारियों की दवाइयों में और केसों की भागदौड़ में खर्च होने के कारण आज स्थिति यह है कि-पत्रकार हूँ इसलिए भीख भी नहीं मांग सकता हूँ और अपना ज़मीर व ईमान बेच नहीं सकता हूँ.
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aap sabhi ko mera hardik aabhar
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